Friday, April 3, 2009

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सारी दुनिया हिली, बेंकोक से दिल्ली,मचा जो शोर बात गली गली फैली लोग मचाये शोर लुटाये करोर पुनीत सिंह तेरे दिल का चोर कोई नि और मैं जैसे जैकी चेन मेरे दुश्मन सारे मेरे से दूर रैन दोस्त कहे मुझे ब्रूस ली क्योकि मेरे सा दुनिया में और कोई नि रब रखे तुझे सौखा तू दे मुझे मौका सुनाऊ तुझे ज़िन्दगी की दास्तान हो देखो कैसे गंगानगर का ये लौंडा आया खिची चौक से नॉएडा, जाऊँ जहाँ पे मेरा दिल मुझे खीचे, मैं नई दुनिया आया मेरी दुनिया छोड़ के पीछे, और जब अंदाज़ कोई रास ना आया मैंने मेरा अनदाज़ आपेही बनाया | मेरा एक हाथ का खेल,सारी cs की faculty एक मेरा कोई नि मेल कोडिंग करने चले वैसे हजारों बादशाह एक बाकी सरे फ़ेल देश में तार लिखूं, यारों को तार, बुश बंद करे वार, में मानी नहीं हार लोग बोले मुझे JP का स्टार,नाम मेरा पुनीत याद रखना यार

1 comment:

Pratyush Garg said...

Poetry ki Taang kaise todi jaati hai aaj Puneet Singh ne dikha diya......... Shabaash mere sher. Chak de phatte !!